कैसे हो? कैसे लगी मेरी पहली post? ज्यादा प्रतिक्रियाएं और टिप्पणियाँ (reactions and comments) नहीं आये पर कोई बात नहीं। I am happy.
अगर किसी के blog पर टिप्पणियाँ नहीं आतीं तो लिखना बंद कर देना चाहिए क्या? मैं ऐसा नहीं मानता।
भई blog शुरू करने से पहले आपने किसी के साथ कोई अनुबंध (agreement) थोड़े ही किया था कि टिप्पणी अवश्य आएगी। अंतरजाल (internet) पर घूमते फिरते आये, blog पढ़ा और चले गए। कोई चोर बाज़ार का concept थोड़े ही है कि blog पढ़ लिया तो टिपियाना ही पड़ेगा। (दाम पूछ लिया तो खरीदना ही पड़ेगा वाला।)
मन करा तो टिप्पणी की, नहीं करा तो नहीं की। लेकिन फिर भी हर blogger की यही ख्वाहिश होती है कि उसका blog comments से अटा-पटा रहे। (read between the lines. छुपा हुआ मतलब समझो।)
मेरी ये poem मेरे उन नामुराद, बदबख्त, कम्बख्त दोस्तों के नाम जिन्होंने मेरी post पर टिपियाया नहीं। (अब तो टिपिया दो या और गाली सुनोगे?)
खैर आप poem पढिये, मैं pizza खाता हूँ। वैसे अजीब बात है, चीज़ है खाने की पर लिखते हैं "पीजा"।
कभी-कभी जिंदगी में ऐसे मोड़ आते हैं,
जब अपने ही दिल तोड़ जाते हैं,
कभी-कभी जिंदगी में ऐसे मंज़र आते हैं,
जब अपने ही रिश्ते हो बंजर जाते हैं,
कभी-कभी जिंदगी में ऐसे तूफां आते हैं,
जब अपने ही घोंट अरमां जाते हैं,
कभी-कभी जिंदगी में ऐसे अंधेर आते हैं,
जब अपने ही मुँह फेर जाते हैं,
कभी-कभी जिंदगी में ऐसे हालात आते हैं,
जब अपने ही छोड़ साथ जाते हैं,
कभी-कभी जिंदगी में ऐसे कल आते हैं,
जब अपने ही बच के निकल जाते हैं,
कभी-कभी..... कभी-कभी.....
जब अपने ही दिल तोड़ जाते हैं,
कभी-कभी जिंदगी में ऐसे मंज़र आते हैं,
जब अपने ही रिश्ते हो बंजर जाते हैं,
कभी-कभी जिंदगी में ऐसे तूफां आते हैं,
जब अपने ही घोंट अरमां जाते हैं,
कभी-कभी जिंदगी में ऐसे अंधेर आते हैं,
जब अपने ही मुँह फेर जाते हैं,
कभी-कभी जिंदगी में ऐसे हालात आते हैं,
जब अपने ही छोड़ साथ जाते हैं,
कभी-कभी जिंदगी में ऐसे कल आते हैं,
जब अपने ही बच के निकल जाते हैं,
कभी-कभी..... कभी-कभी.....