Wednesday, July 22, 2009

कभी-कभी

हैलो दोस्तों,

कैसे हो? कैसे लगी मेरी पहली post? ज्यादा प्रतिक्रियाएं और टिप्पणियाँ (reactions and comments) नहीं आये पर कोई बात नहीं। I am happy.
अगर किसी के blog पर टिप्पणियाँ नहीं आतीं तो लिखना बंद कर देना चाहिए क्या? मैं ऐसा नहीं मानता।
भई blog शुरू करने से पहले आपने किसी के साथ कोई अनुबंध (agreement) थोड़े ही किया था कि टिप्पणी अवश्य आएगी। अंतरजाल (internet) पर घूमते फिरते आये, blog पढ़ा और चले गए। कोई चोर बाज़ार का concept थोड़े ही है कि blog पढ़ लिया तो टिपियाना ही पड़ेगा। (दाम पूछ लिया तो खरीदना ही पड़ेगा वाला।)
मन करा तो टिप्पणी की, नहीं करा तो नहीं की। लेकिन फिर भी हर blogger की यही ख्वाहिश होती है कि उसका blog comments से अटा-पटा रहे। (read between the lines. छुपा हुआ मतलब समझो।)
मेरी ये poem मेरे उन नामुराद, बदबख्त, कम्बख्त दोस्तों के नाम जिन्होंने मेरी post पर टिपियाया नहीं। (अब तो टिपिया दो या और गाली सुनोगे?)
खैर आप poem पढिये, मैं pizza खाता हूँ। वैसे अजीब बात है, चीज़ है खाने की पर लिखते हैं "पीजा"

कभी-कभी जिंदगी में ऐसे मोड़ आते हैं,
जब अपने ही दिल तोड़ जाते हैं,

कभी-कभी जिंदगी में ऐसे मंज़र आते हैं,
जब अपने ही रिश्ते हो बंजर जाते हैं,

कभी-कभी जिंदगी में ऐसे तूफां आते हैं,
जब अपने ही घोंट अरमां जाते हैं,

कभी-कभी जिंदगी में ऐसे अंधेर आते हैं,
जब अपने ही मुँह फेर जाते हैं,

कभी-कभी जिंदगी में ऐसे हालात आते हैं,
जब अपने ही छोड़ साथ जाते हैं,

कभी-कभी जिंदगी में ऐसे कल आते हैं,
जब अपने ही बच के निकल जाते हैं,

कभी-कभी..... कभी-कभी.....


Monday, July 13, 2009

कुछ मेरे बारे में

हैलो दोस्तों,

सबसे पहले तो आपको thank you कि आप मेरे ब्लॉग पर आए। पहला-पहला ब्लॉग लिखते हुए काफ़ी feel good हो रहा है। :)
पिछले काफ़ी time से ब्लॉगस बहुत popular हो रहे हैं।
मैंने भी काफ़ी सोचा विचारा और आख़िरकार सूचना तकनीक (information technology) की इस विधा पर हाथ आजमाने की ठान ली।
जब blogger.com पर आया तो मैं ब्लॉग से जुड़ी समस्याओं से रूबरू हुआ। सबसे पहली समस्या तो यही खड़ी हो गई की ब्लॉग का नाम क्या रखा जाए? टाइटिल क्या रखूँ?
काफ़ी विचार विमर्श और खोजबीन के बाद मुझे ये URL http://unveilingmayank.blogspot.com/ उपलब्ध मिला। बिना एक क्षण गँवाए मैंने इस पर मोहर लगा दी।
अब आपको ये नाम रखने के पीछे का secret भी बता दूँ। तो बात ऐसी है दोस्तों कि मेरा मानना है कि जैसे हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं (कृपया अमिताभ बच्चन का शोले वाला सिक्का छोड़ दें ), उसी तरह हर बात हर चीज़ की भी 2 side होती हैं। तो यहाँ पर आपको दूसरी side देखने का मौका मिलेगा। obviously mine.
अब ब्लॉग तो बन गया लेकिन फिर एक नई परेशानी आड़े आ गई। "अपने बारे में क्या लिखूं?" इस गंभीर प्रॉब्लम का निदान (solution) किया मेरे मित्र मनीष ने।
उसने सुझाव दिया कि मुझे किसी शेर या कविता से शुरुआत करनी चाहिए वो भी अपनी लिखी हुई।
(अबे ये लिखता भी है.... खी खी खी ) कृपया ऐसा ना सोचें। यही तो है other side of mine.
तो दोस्तों अब ज़्यादा वक़्त ना लेते हुए मैं पेश करता हूँ मेरी लिखी हुई mind it मेरी लिखी हुई कुछ lines.
शायरी कविता या नज़्म, चाहे जो नाम दीजिये,
घुटनों पर ज़ोर मत डालिए हुजूर, मज़ा लीजिये। :)

नफ़रत में प्यार की एक नज़र ढूंढता हूँ,
सुनसान रास्तों में हमसफ़र ढूंढ़ता हूँ,

तन्हाइयों में महफ़िल ढूंढ़ता हूँ,
बीच साग़र में साहिल ढूंढ़ता हूँ,

खामोशी में आवाज़ ढूंढ़ता हूँ,
धडकनों में साज़ ढूंढ़ता हूँ,

खाली पैमानों में जाम ढूंढ़ता हूँ,
कांटो में गुलफ़ाम ढूंढ़ता हूँ,

हसीन सुबह रंगीं शाम ढूंढ़ता हूँ,
अन्जान नामों में तेरा नाम ढूंढ़ता हूँ,

तू दूर है फिर भी तुझको अपने पास ढूंढ़ता हूँ..... अपने पास ढूंढ़ता ूँ.....