Thursday, September 10, 2009

मन नहीं करता

hey friends,

how are you? केम छो? माजा मा छो?
भई सबसे पहले तो सभी दर्शकों, श्रोताओं और पाठकों (viewers, listeners and readers) का मैं तहे दिल से धन्यवाद करना चाहूँगा कि आप सभी ने मुझे इतना प्यार दिया और प्रोत्साहित किया इतनी अच्छी टिप्पणियाँ देकर।
आप सभी का बहुत-2 वो... वो क्या कहते हैं... शुक्रिया, प्रक्रिया। :D
मुझे मालूम है कि मेरे कुछ दोस्त, भाई-बंधु इस बात से काफी आश्चर्यचकित (surprised) होंगे कि मैं थोड़ी-बहुत शायरी भी कर लेता हूँ। वो अपना सर खुजा-2 कर सोच रहे होंगे कि उनके सामने तो कभी ऐसा मौका नहीं पड़ा जब मैंने कोई शेर-वेर सुनाया हो "मेरा खुद का लिखा" कह कर। But friends please don't get angry। "गुश्शा" मत होना। अरे यही तो है "other side of mine!!!" रे। और यही बात तो मेरे blog के नाम को सार्थक (signify) करती है।
दोस्तों मेरे शेर-ओ-शायरी की दुनिया में entry मारने की कहानी तो मैं आपको अपनी next post में बताऊँगा और मैं अपनी लिखी हुई उस पहली कविता से भी पर्दा उठा कर उसे आपके सामने पेश करूँगा जिसको पढ़कर आप मुझे दाद तो बिल्कुल ही नहीं देने वाले। खैर इस बारे में बाद में चिंता करूँगा। फिलहाल तो ये कुछ पंक्तियाँ, आपको, आपके लिए, मेरे द्वारा।
To you, for you, by ME। :)

नींद आती है पर सोने का मन नहीं करता,
मदहोशी छाती है पर खोने मन नहीं करता,
दोस्त तो बहुत हैं पर मिलने का मन नहीं करता,
आँखें भर आती हैं पर रोने का मन नहीं करता,
महफिल में तो होते हैं पर बोलने का मन नहीं करता,
कई राज़ हैं इस दिल में पर खोलने का मन नहीं करता,
तेरे पास आकर दूर होने का मन नहीं करता,
तुझे सोच कर कुछ सोचने का मन नहीं करता,
जो साथ ना हो तू तो ना जाने क्यों जिंदा रहने का मन नहीं करता,
क्यों जिंदा रहने का मन नहीं करता....